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Hanuman Janmotsav 2025 – हनुमान जन्मोत्सव पर करें इन मंत्रों का जाप, दूर होगा मंगल दोष

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हनुमान जन्मोत्सव हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ पर्व माना जाता है। यह दिन भगवान हनुमान जी के जन्म का उत्सव है, जिन्हें बल, बुद्धि, भक्ति और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। इस पावन अवसर पर हनुमान जी की पूजा-अर्चना करने से भक्तों को विशेष कृपा प्राप्त होती है और उनके जीवन की सभी बाधाएँ दूर हो जाती हैं।

हनुमान जन्मोत्सव 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

हनुमान जन्मोत्सव प्रतिवर्ष चैत्र पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। 2025 में यह पर्व 11 अप्रैल (शुक्रवार) को मनाया जाएगा। इस दिन हनुमान जी की आराधना करने और मंत्र जाप करने का विशेष महत्व होता है।

शुभ मुहूर्त

  • पूजा का समय: प्रातः 5:30 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक
  • अभिषेक मुहूर्त: प्रातः 6:00 बजे से 8:30 बजे तक
  • सुंदरकांड पाठ का समय: संध्या 7:00 बजे से रात्रि 9:00 बजे तक

मंगल दोष क्या है और इसका प्रभाव

मंगल दोष तब उत्पन्न होता है जब किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल ग्रह अशुभ स्थिति में होता है। यह दोष विवाह, करियर, स्वास्थ्य और पारिवारिक जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। मंगल दोष को शांत करने के लिए हनुमान जी की आराधना सबसे प्रभावी उपाय मानी जाती है।

हनुमान जन्मोत्सव पर मंगल दोष निवारण के लिए विशेष मंत्र

हनुमान जन्मोत्सव के दिन कुछ विशेष मंत्रों का जाप करने से मंगल दोष शांत होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

1. हनुमान बीज मंत्र – “ॐ ऐं भ्रीम हनुमते, श्री राम दूताय नमः।”
लाभ: इस मंत्र का जाप करने से मानसिक शांति, शक्ति और आत्मविश्वास प्राप्त होता है।

2. मंगल दोष निवारण मंत्र – “ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः।”
लाभ: यह मंत्र मंगल ग्रह के अशुभ प्रभाव को कम करता है और विवाह संबंधी बाधाओं को दूर करता है।

3. हनुमान चालीसा का पाठ – हनुमान जन्मोत्सव के दिन हनुमान चालीसा का 11 बार पाठ करने से सभी प्रकार की बाधाएँ दूर होती हैं और मंगल दोष का प्रभाव कम होता है।

4. हनुमान गायत्री मंत्र – “ॐ आंजनेयाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि तन्नो हनुमत् प्रचोदयात्।”
लाभ: यह मंत्र नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और जीवन में सकारात्मकता लाता है।

हनुमान जन्मोत्सव पर विशेष पूजन विधि

1. प्रातः स्नान करके लाल वस्त्र धारण करें।
2. हनुमान जी की मूर्ति या चित्र के सामने घी का दीपक जलाएँ।
3. लाल फूल, सिंदूर और चोला अर्पित करें।
4. हनुमान चालीसा, सुंदरकांड और बजरंग बाण का पाठ करें।
5. अंत में हनुमान जी के प्रिय भोग जैसे बूंदी के लड्डू या चने-गुड़ का प्रसाद चढ़ाएँ।

हनुमान जन्मोत्सव के दिन कौन से उपाय करने चाहिए?

1. हनुमान मंदिर में जाकर दान-पुण्य करें।
2. जरूरतमंद लोगों को अन्न और वस्त्र दान करें।
3. पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाएँ।
4. मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी का व्रत रखें।
5. घर में सुंदरकांड और रामायण का पाठ करें।

हनुमान जी के 108 नाम (Lord Hanuman 108 Names)

ॐ अक्षघ्नाय नमः
ॐ रामदूताय नमः
ॐ शाकिनीजीवहारकाय नमः
ॐ बुबुकारहतारातये नमः
ॐ गर्वपर्वतप्रमर्दनाय नमः
ॐ हेतवे नमः
ॐ अहेतवे नमः
ॐ प्रांशवे नमः
ॐ विश्वभर्त्रे नमः
ॐ जगद्गुरवे नमः
ॐ जगन्नेत्रे नमः
ॐ जगन्नाथाय नमः
ॐ जगदीशाय नमः
ॐ जनेश्वराय नमः
ॐ जगद्धिताय नमः
ॐ हरये नमः
ॐ श्रीशाय नमः
ॐ गरुडस्मयभञ्जनाय नमः
ॐ पार्थध्वजाय नमः
ॐ वायुपुत्राय नमः
ॐ अमितपुच्छाय नमः
ॐ अमितविक्रमाय नमः
ॐ ब्रह्मपुच्छाय नमः
ॐ परब्रह्मपुच्छाय नमः
ॐ रामेष्टकारकाय नमः
ॐ सुग्रीवादियुताय नमः
ॐ ज्ञानिने नमः
ॐ वानराय नमः
ॐ वानरेश्वराय नमः
ॐ कल्पस्थायिने नमः
ॐ चिरञ्जीविने नमः
ॐ तपनाय नमः
ॐ सदाशिवाय नमः
ॐ सन्नतये नमः
ॐ सद्गतये नमः
ॐ भुक्तिमुक्तिदाय नमः
ॐ कीर्तिदायकाय नमः
ॐ कीर्तये नमः
ॐ कीर्तिप्रदाय नमः
ॐ समुद्राय नमः
ॐ श्रीप्रदाय नमः
ॐ शिवाय नमः
ॐ भक्तोदयाय नमः
ॐ भक्तगम्याय नमः
ॐ भक्तभाग्यप्रदायकाय नमः
ॐ उदधिक्रमणाय नमः
ॐ देवाय नमः
ॐ संसारभयनाशनाय नमः
ॐ वार्धिबन्धनकृते नमः
ॐ विश्वजेत्रे नमः
ॐ विश्वप्रतिष्ठिताय नमः
ॐ लङ्कारये नमः
ॐ कालपुरुषाय नमः
ॐ लङ्केशगृहभञ्जनाय नमः
ॐ भूतावासाय नमः
ॐ वासुदेवाय नमः
ॐ वसवे नमः
ॐ त्रिभुवनेश्वराय नमः
ॐ श्रीरामरूपाय नमः
ॐ कृष्णाय नमः
ॐ लङ्काप्रासादभञ्जकाय नमः
ॐ कृष्णाय नमः
ॐ कृष्णस्तुताय नमः
ॐ शान्ताय नमः
ॐ शान्तिदाय नमः
ॐ विश्वपावनाय नमः
ॐ विश्वभोक्त्रे नमः
ॐ मारघ्नाय नमः
ॐ ब्रह्मचारिणे नमः
ॐ जितेन्द्रियाय नमः
ॐ ऊर्ध्वगाय नमः
ॐ लाङ्गुलिने नमः
ॐ मालिने नमः
ॐ लाङ्गूलाहतराक्षसाय नमः
ॐ समीरतनुजाय नमः
ॐ वीराय नमः
ॐ वीरताराय नमः
ॐ जयप्रदाय नमः
ॐ जगन्मङ्गलदाय नमः
ॐ पुण्याय नमः
ॐ पुण्यश्रवणकीर्तनाय नमः
ॐ पुण्यकीर्तये नमः
ॐ पुण्यगतये नमः
ॐ जगत्पावनापावनाय नमः
ॐ देवेशाय नमः
ॐ जितमाराय नमः
ॐ रामभक्तिविधायकाय नमः
ॐ ध्यात्रे नमः
ॐ ध्येयाय नमः
ॐ लयाय नमः
ॐ साक्षिणे नमः
ॐ चेतसे नमः
ॐ चैतन्यविग्रहाय नमः
ॐ ज्ञानदाय नमः
ॐ प्राणदाय नमः
ॐ प्राणाय नमः
ॐ जगत्प्राणाय नमः
ॐ समीरणाय नमः
ॐ विभीषणप्रियाय नमः
ॐ शूराय नमः
ॐ पिप्पलाश्रयसिद्धिदाय नमः
ॐ सिद्धाय नमः
ॐ सिद्धाश्रयाय नमः
ॐ कालाय नमः
ॐ महोक्षाय नमः
ॐ कालाजान्तकाय नमः
ॐ लङ्केशनिधनाय नमः
ॐ स्थायिने नमः

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