|| चौपाई ||
जय नारद मुनि, दिव्य ऋषि,
तेरे नाम का जप हमारी भाषा।
बुद्धि को बनाएं प्रकाशमय,
प्रकाश के मार्ग पर हमको लाएं।
ब्रह्मा के पुत्र, अद्वितीय सूचक,
दिव्य दूत, एक स्वर्गीय सूचक।
वीणा हाथ में, सुरमय मेलोदी,
भक्ति में, हमारे हृदय की धूपी।
नारायण भक्त, आकाश में विहार,
बुद्धिमान सलाहकार, विचार।
भक्ति का प्रतीक, पवित्र और सच,
नारद मुनि, तुझे नमन हम करें।
तेरे दिव्य ध्वनि की शक्ति के साथ,
आसमानों में गूंथा गया तेरा आवाज।
शाश्वत सत्य के हरित पथ पर,
आध्यात्मिक युवा से सजीव होता जगत।
जय नारद मुनि, कृपा के रूप,
तेरे सामने, हमारा असत्य टूटे।
सात्विक भक्ति की कला सिखा,
हमें शाश्वत आनंद की ओर ले जाएं।
भटक ऋषि, तेरी दिव्य काया,
तेरी बुद्धि में हमारा भय गाया।
ज्ञान, बुद्धि, और कला से हमें संपन्न,
प्रत्येक हृदय में एक आश्रय।
तेरे नाम का जप करते हैं हम,
नारद मुनि, महान कृपालु हमारे प्रभु।
धर्म के मार्ग पर हमें मार्गदर्शन करो,
तेरे दिव्य प्रेम में हम सुखी होते हैं।
जय नारद मुनि, हम तेरी स्तुति करते हैं,
प्रतियोगिता से हम समस्त कष्टों को दूर करते हैं।
हमें सामर्थ्य प्रदान करो,
एक धार्मिक, उद्दीपनपूर्ण जीवन की ओर ले जाओ।
हमें विवेकी बनाओ,
भक्ति की आग में सदा जलते रहें।
जय नारद मुनि, कृपा के रूप,
तेरे दिव्य सानिध्य में हम अपनी जगह पाते हैं।
इस चालीसा को भक्ति और प्रेम से पढ़ते हैं,
नारद मुनि से जुड़ने में।
उसका आशीर्वाद स्वर्ग से बरसाएं,
प्रत्येक हृदय में उसकी उपस्थिति चमके।
|| इति श्री नारद मुनि चालीसा ||
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