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कमला अष्टक स्तोत्र

Kamala Ashtaka Stotram Hindi Lyrics

MiscStotram (स्तोत्र संग्रह)हिन्दी
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कमला अष्टक स्तोत्र एक पवित्र संस्कृत पाठ है जो देवी कमला (माँ लक्ष्मी) को समर्पित है, जो दस महाविद्याओं में से एक हैं। ‘अष्टक’ का अर्थ है आठ छंदों का संग्रह। यह स्तोत्र देवी कमला की स्तुति करता है, उनकी कृपा, धन और समृद्धि के लिए उनका आह्वान करता है।

कमला महालक्ष्मी का स्वरूप हैं और उन्हें भौतिक तथा आध्यात्मिक दोनों संपदाओं की दाता माना जाता है। “PDF” प्रारूप भक्तों के लिए इस स्तोत्र को आसानी से डाउनलोड करने और पढ़ने की सुविधा प्रदान करता है, जिससे वे हिंदी में इसका पाठ कर सकें। इस स्तोत्र का भक्तिपूर्वक पाठ करने से जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

|| कमला अष्टक स्तोत्र (Kamala Ashtaka Stotram PDF) ||

न्यङ्कावरातिभयशङ्काकुले धृतदृगङ्कायतिः प्रणमतां
शङ्काकलङ्कयुतपङ्कायताश्मशितटङ्कायितस्वचरिता।

त्वं कालदेशपदशङ्कातिपातिपतिसङ्काश वैभवयुता
शं काममातरनिशं कामनीयमिह सङ्काशयाशु कृपया।

आचान्तरङ्गदलिमोचान्तरङ्गरुचिवाचां तरङ्गगतिभिः
काचाटनाय कटुवाचाटभावयुतनीचाटनं न कलये।

वाचामगोचरसदाचारसूरिजनताचातुरीविवृतये
प्राचां गतिं कुशलवाचां जगज्जननि याचामि देवि भवतीम्।

चेटीकृतामरवधूटीकराग्रधृतपेटीपुटार्घ्यसुमनो-
वीटीदलक्रमुकपाटीरपङ्कनवशाटीकृताङ्गरचना।

खेटीकमानशतकोटीकराब्जजजटाटीरवन्दितपदा
या टीकतेऽब्जवनमाटीकतां हृदयवाटीमतीव कमला।

स्वान्तान्तरालकृतकान्तागमान्तशतशान्तान्तराघनिकराः
शान्तार्थकान्तवकृतान्ता भजन्ति हृदि दान्ता दुरन्ततपसा।

यां तानतापभवतान्तातिभीतजगतां तापनोदनपटुं
मां तारयत्वशुभकान्तारतोऽद्य हरिकान्ताकटाक्षलहरी।

यां भावुका मनसि सम्भावयन्ति भवसम्भावनापहृतये
त्वं भासि लक्ष्मि सततं भाव्ययद्भवनसम्भावनादिविधये।

जम्भारिसम्पदुपलम्भादिकारणमहं भाव्यमङ्घ्रियुगलं
सम्भावये श्रुतिषु सम्भाषितं वचसि सम्भाष्य तस्य तव च।

दूरावधूतमधुधारागिरोच्चकुचभारानताङ्गलतिका-
साराङ्गलिप्तघनसारार्द्रकुङ्कुमरसा राजहंसगमना।

वैराकरस्मरविकारापसंसरणवाराशिमग्रमनसः
श्रीराविरस्तु धुरि ताराय मे गुरुभिरारधिता भगवती।

श्रीवासधूपकनदावासदीपरुचिरावासभूपरिसरा
श्रीवासदेशलसदावापकाशरदभावाभकेशनिकरा।

श्रीवासुदेवरमणी वामदेवविधिदेवाधिपावनपरा
श्रीवासवस्तुनरदेवाहतस्तुतिसभावा मुदेऽस्तु सुतराम्।

भाषादिदेवकुलयोषामणिस्तवनघोषाञ्चितस्वसविधा
दोषाकुले जगति पोषाकुला सपदि शेषाहि शायिदयिता।

दोषालयस्य मम दोषानपोह्य गतदोषाभिनन्द्यमहिमा
शेषाशनाहिरिपुशेषादिसम्पद विशेषां ददातु विभवान्।

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