|| मां काली की कथा ||
हिंदू धर्म में मां काली का प्रमुख स्थान है काली का अर्थ है समय और काल ऐसा माना जाता है कि इनकी उत्पत्ति समय और काल पापियों के नाश के लिए हुई थी|
समय और काल से कोई भी नहीं बच सकता यह सभी को निगल जाता है माता पार्वती ने यह भयानक रूप पापियों के विनाश के लिए धारण किया था मां काली पापियों के लिए विनाश है और अपने भक्तों के लिए प्रेम से भरी हुई हैं|
जो भी प्राणी सच्चे मन से मां की भक्ति करता है मां उसे मनवांछित फल देती हैं मां काली की कथा एक समय दारुक नाम के पापी असुर ने ब्रह्मा जी की तपस्या करके उन्हें प्रसन्न कर लिया|
ब्रह्मा जी से पाए वरदान के कारण दारू अत्यंत बलशाली हो गया वह देवताओं और ब्राह्मणों को परेशान करने लगा वह उन पर अत्याचार करने लगा धार्मिक अनुष्ठान यज्ञ बंद करवा दिए और स्वर्ग लोक को चला गया|
सभी देवता विचलित होकर ब्रह्मा जी और विष्णु जी के पास सहायता मांगने के लिए चले गए ब्रह्मा जी ने बताया कि दारुक का नाश सिर्फ स्त्री के हाथ से हो सकता है|
सभी बड़े देवता भी उससे युद्ध में हार चुके थे अंत में यह निश्चय किया गया कि दारुक का वध भगवान शिव की पत्नी माता पार्वती करेंगी भगवान शिव ने अपना तीसरा नेत्र खोलकर भयानक और प्रचंड महाकाली को जन्म दिया|
उनका शरीर काले रंग का था और मां काली के माथे पर तीसरा नेत्र और चंद्र रेखा थी उनके हाथों में त्रिशूल और कई प्रकार के अस्त्र-शस्त्र थे महाकाली के प्रचंड रूप को देखकर सभी देवता थर-थर कांपने लगे और वहां से भागने लगे|
युद्ध में दारुक महाकाली से पराजित हुआ और इस तरह उस दुष्ट का अंत हुआ महाकाली के भयानक रूप से चारों तरफ अग्नि की भयानक लपटें उत्पन्न हो गई महाकाली के क्रोध को सिर्फ भगवान शिव ही रोक सकते थे इसीलिए उन्होंने एक बालक का अवतार लिया|
भगवान शिव शमशान पहुंचे और वहां बालक के रूप में लेट कर रोने लगे छोटे बालक को देखकर महाकाली का क्रोध शांत हो गया उनके हृदय में ममता भावना जागृत हो गई उन्होंने शिव रुपी उस छोटे बालक को उठा लिया और अपने स्तनों से दूध पिलाने लगी|
इस प्रकार से शिवजी जी ने उनके क्रोध को पी लिया इस प्रकार महाकाली का भयानक और प्रचंड क्रोध शांत हुआ उसके बाद महाकाली मूर्छित हो गई|
उन्हें होश में लाने के लिए भगवान शिव ने तांडव नृत्य किया होश में आने पर वह पुनः माता पार्वती के रूप में आ चुकी थी|
माता पार्वती भगवान शिव का नृत्य देखकर नृत्य करने लगी जिसके कारण उन्हें योगिनी के नाम से भी पुकारा जाता है|
इसके अलावा महाकाली ने महिषासुर चंड मुंड रक्तबीज शुंभ निशुंभ जैसे राक्षसों का वध किया 10 महाविद्याओं में से महाकाली प्रथम महाविद्या है|
|| काली माता की जय ||
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