|| जया पार्वती व्रत कथा ||
जया-पार्वती पर्व पर माता पार्वती की पूजा के समय इस कथा को सुनना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस कथा के श्रवण से माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है। जया पार्वती व्रत माता पार्वती को समर्पित पर्व है, जिसे सुहागिन स्त्रियां अपने सुहाग की लंबी आयु और अखंडता के लिए रखती हैं, जबकि कुंवारी कन्याएं सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए इस व्रत को करती हैं।
यह व्रत हर साल अषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि से प्रारंभ होकर कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि पर समाप्त होता है। 2024 में जया-पार्वती व्रत शुक्रवार, 19 जुलाई को रखा जाएगा।
एक समय की बात है, कौडिन्य नगर में वामन नामक ब्राह्मण अपनी पत्नी सत्या के साथ रहता था। उनके पास हर प्रकार की समृद्धि थी, परंतु संतान न होने के कारण वे बहुत दुखी थे।
एक दिन नारद जी भ्रमण करते हुए उनके घर आए। ब्राह्मण दंपत्ति ने उनका सेवा-सत्कार किया और अपनी समस्या का समाधान पूछा। नारद जी ने उन्हें बताया कि नगर के बाहर दक्षिणी वन में बिल्व वृक्ष के नीचे भगवान शिव माता पार्वती के साथ लिंग रूप में विराजित हैं। तुम दोनों श्रद्धापूर्वक उनकी पूजा करो, तुम्हारी मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी।
ब्राह्मण दंपत्ति ने बिल्व वृक्ष के नीचे शिवलिंग को ढूंढ़कर विधिपूर्वक पूजा प्रारंभ कर दी। पाँच वर्षों तक नियमित रूप से पूजा करते हुए, एक दिन ब्राह्मण फूल तोड़ते समय सांप के काटने से मर गया। ब्राह्मण के न लौटने पर उसकी पत्नी चिंतित होकर उसे ढूंढ़ने वन में पहुंची। अपने पति को मृत देखकर सत्या विलाप करते हुए माता पार्वती का स्मरण करने लगी।
सत्या की पुकार सुनकर माता पार्वती प्रकट हुईं और ब्राह्मण के मुख में अमृत डालकर उसे पुनः जीवित कर दिया। ब्राह्मणी अत्यंत प्रसन्न हुई और दोनों ने माता पार्वती की पूजा की। माता पार्वती ने प्रसन्न होकर उन्हें वर मांगने के लिए कहा। ब्राह्मण दंपत्ति ने संतान प्राप्ति का वरदान मांगा। माता पार्वती ने उन्हें जया पार्वती व्रत करने की सलाह दी, जिससे उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकें।
दंपत्ति ने श्रद्धापूर्वक जया पार्वती व्रत किया और उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई, जिससे उनका परिवार संपूर्ण हो गया।
|| जया-पार्वती व्रत का पूजन ||
- आषाढ़ शुक्ल त्रयोदशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कार्यों से निवृत्त होकर स्नान करें।
- तत्पश्चात व्रत का संकल्प लेकर माता पार्वती का स्मरण करें।
- घर के मंदिर में शिव-पार्वती की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
- फिर शिव-पार्वती को कुमकुम, शतपत्र, कस्तूरी, अष्टगंध और फूल अर्पित करें।
- नारियल, अनार और अन्य सामग्री अर्पित करें।
- अब विधिपूर्वक षोडशोपचार पूजन करें।
- माता पार्वती का स्मरण कर उनकी स्तुति करें।
- फिर माता पार्वती का ध्यान करके सुख-सौभाग्य और गृहशांति के लिए सच्चे मन से प्रार्थना कर अपने द्वारा हुई गलतियों की क्षमा मांगें।
- पार्वती मंत्र: ॐ शिवाय नमः का अधिक से अधिक जाप करें।
- कथा का श्रवण करें, कथा के बाद आरती कर पूजन संपन्न करें।
- ब्राह्मण को भोजन करवाएं और इच्छानुसार दक्षिणा देकर, चरण छूकर आशीर्वाद लें।
- यदि बालू रेत का हाथी बनाया है तो रात्रि जागरण के पश्चात उसे नदी या जलाशय में विसर्जित करें।
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