मंगला गौरी व्रत श्रावण मास के प्रत्येक मंगलवार को किया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है। इस व्रत में माँ गौरी की पूजा का विशेष महत्व है। यहाँ कुछ खास बातें हैं जो मंगला गौरी व्रत पूजा के दौरान ध्यान में रखनी चाहिए।
कब मनाया जाता है मंगला गौरी व्रत?
मंगला गौरी व्रत श्रावण मास (जुलाई-अगस्त) के प्रत्येक मंगलवार को मनाया जाता है। यह व्रत मुख्य रूप से विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए करती हैं। इस व्रत में मां गौरी की पूजा की जाती है और विशेष भोग अर्पित किए जाते हैं। श्रावण मास भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है, इसलिए इस महीने में उनकी पूजा का विशेष महत्व है।
क्यों मनाया जाता है मंगला गौरी व्रत?
मंगला गौरी व्रत मुख्य रूप से विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु, सुख-समृद्धि, और वैवाहिक जीवन की खुशहाली के लिए करती हैं। यह व्रत श्रावण मास के प्रत्येक मंगलवार को रखा जाता है। हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता पार्वती (गौरी) को प्रसन्न करने के लिए यह व्रत रखा जाता है, क्योंकि वे वैवाहिक जीवन की देवी मानी जाती हैं और उनके आशीर्वाद से जीवन में खुशहाली और समृद्धि आती है।
इस व्रत को करने से दांपत्य जीवन में प्रेम, सामंजस्य और सौहार्द बना रहता है। इसके अलावा, अविवाहित लड़कियां भी इस व्रत को उत्तम पति की प्राप्ति के लिए करती हैं। मंगला गौरी व्रत की पूजा विधि में मां गौरी की प्रतिमा या तस्वीर की स्थापना कर, विधिपूर्वक पूजा-अर्चना और विशेष भोग अर्पित किए जाते हैं।
मंगला गौरी व्रत पूजा विधि
- पूजा के समय पूरी तरह से शुद्ध रहें। स्नान करके साफ कपड़े पहनें।
- पूजा के लिए आवश्यक सभी सामग्री जैसे दीपक, धूप, फूल, फल, रोली, चंदन आदि पहले से तैयार रखें।
- मंगला गौरी के मंत्र का जाप करते हुए पूजा करें।
- मंगला गौरी व्रत कथा को ध्यान से सुनें।
- देवी को जल अर्पित करें।
- पूजा के अंत में मंगला गौरी आरती करें।
व्रत के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
- व्रत के दिन सात्विक आहार ही ग्रहण करें। प्याज, लहसुन, मांस, शराब आदि का सेवन न करें।
- इस दिन किसी की निंदा न करें और झूठ न बोलें।
- पूरे दिन धैर्य और शांति बनाए रखें।
- सेवा करें और आदर करें।
- सकारात्मक सोच रखें और देवी पर पूरा विश्वास रखें।
- व्रत को सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त से पहले तोड़ना चाहिए।
- व्रत तोड़ते समय पहले भगवान को भोग लगाएं और फिर खुद भोजन करें।
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