|| राम नवमी व्रत कथा ||
भगवान श्री विष्णु ने अपने सातवें अवतार के रूप में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र के रूप में जन्म लेकर अनेक अद्भुत लीलाएं रचीं। अंततः उन्होंने अहंकारी रावण का संहार कर धर्म की विजय स्थापित की। श्री राम जी के जन्मोत्सव को राम नवमी के रूप में श्रद्धा और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। आइए इस शुभ अवसर पर राम नवमी की पौराणिक कथा को विस्तार से जानते हैं।
प्राचीन कथा के अनुसार, अयोध्या के राजा दशरथ के कोई संतान नहीं थी, जिससे वे अत्यंत चिंतित रहते थे। अपने वंश को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने महर्षि वशिष्ठ के मार्गदर्शन में पुत्रकामेष्टि यज्ञ का आयोजन किया। इस यज्ञ में देश-विदेश के महान ऋषि-मुनियों को आमंत्रित किया गया। यज्ञ का संचालन ऋंग ऋषि के निर्देशन में संपन्न हुआ।
यज्ञ के पूर्ण होने के उपरांत, अग्निदेव प्रकट हुए और राजा दशरथ को एक दिव्य खीर का पात्र प्रदान किया। इस प्रसाद को राजा दशरथ ने अपनी तीनों रानियों – माता कौशल्या, माता कैकेयी और माता सुमित्रा में वितरित कर दिया। यज्ञ के प्रभाव से तीनों रानियों ने गर्भधारण किया और कुछ समय बाद दिव्य संतानें जन्मीं।
नवमी तिथि को माता कौशल्या ने एक तेजस्वी पुत्र को जन्म दिया, जिनका मुख मंडल करोड़ों सूर्यों की आभा से दैदीप्यमान था। यही भगवान विष्णु के सातवें अवतार श्री राम थे। उनके जन्म से संपूर्ण अयोध्या में आनंद और उल्लास की लहर दौड़ गई। देवताओं ने पुष्पवर्षा कर इस दिव्य क्षण का स्वागत किया।
इसके पश्चात माता कैकेयी ने भरत को और माता सुमित्रा ने लक्ष्मण व शत्रुघ्न को जन्म दिया। इन चारों राजकुमारों के जन्म से अयोध्या नगरी हर्षोल्लास से भर उठी। सभी नगरवासी दीप जलाकर, नृत्य-गान कर और भव्य उत्सव मनाकर इस पावन अवसर को आनंदमय बना रहे थे।
महर्षि वशिष्ठ ने चारों राजकुमारों का नामकरण संस्कार किया और उनके नाम राम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न रखे गए। श्री राम अपने अद्भुत गुणों, शील, विनम्रता और पराक्रम से शीघ्र ही अयोध्यावासियों के हृदय सम्राट बन गए।
श्री राम ने अल्पायु में ही सभी वेदों, शास्त्रों और अस्त्र-शस्त्रों में निपुणता प्राप्त कर ली। शिव धनुष को भंग कर सीता माता से विवाह किया। पिता की आज्ञा का पालन करते हुए 14 वर्षों के लिए वनगमन किया। महाबली बाली का वध कर सुग्रीव को उसका राज्य दिलाया। माता सीता के उद्धार हेतु लंकाधिपति रावण का वध कर धर्म की स्थापना की। श्री राम ने अपने जीवन में उच्चतम आदर्शों का पालन किया और संपूर्ण मानव जाति के लिए मर्यादा एवं कर्तव्यपरायणता का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया।
युगों-युगों बाद भी भगवान श्री राम का चरित्र प्रेरणादायक बना हुआ है। उनकी निष्ठा, धैर्य, पराक्रम और त्याग की गाथा हर युग में अनुकरणीय मानी जाती है। राम नवमी का पर्व हमें यह स्मरण कराता है कि धर्म और सत्य के मार्ग पर चलकर ही जीवन को सार्थक बनाया जा सकता है। इस दिन श्रद्धालु उपवास रखते हैं, रामचरितमानस का पाठ करते हैं, मंदिरों में भजन-कीर्तन आयोजित होते हैं और प्रभु श्रीराम का जन्मोत्सव पूरे भक्ति भाव से मनाया जाता है।
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